What IS DNS:- DNS का पूर्ण रूप – Domain Name System (डोमेन नेम सिस्टम) होता है।
यह एक वितरित (Distributed) और अनुक्रमित (Hierarchical) सिस्टम है जो डोमेन नामों को उनके संबंधित IP एड्रेस में बदलने का कार्य करता है, जिससे इंटरनेट पर वेबसाइट्स और अन्य सेवाओं तक पहुँचना आसान हो जाता है।

आगे आप पड़ेंगे DNS क्या है ? | इन्टरनेट में DNS क्या है ? | DNS का मोबाइल में क्या है ? | DNS के प्रकार | DNS कितने प्रकार का होता है ? | Networking में DNS क्या है ? | DNS का पूर्ण रूप क्या है ? | DNS केशिंग क्या है ?
DNS का इतिहास :
इंटरनेट के शुरुआती दिनों में, किसी वेबसाइट तक पहुँचने का एकमात्र तरीका आईपी एड्रेस, संख्याओं की एक लंबी श्रृंखला, को ब्राउज़र विंडो में दर्ज करना था। 1980 के दशक की शुरुआत में, अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक पॉल मोकापेट्रिस और उनके सहयोगी जॉन पोस्टेल ने एक ऐसी प्रणाली विकसित की जो स्वचालित रूप से आईपी एड्रेस को डोमेन नामों से मैप करती थी – और DNS का जन्म हुआ। यही प्रणाली आज भी इंटरनेट की रीढ़ की हड्डी के रूप में काम करती है।
पॉल मॉकपेट्रीस ने 1983 में इरविन के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में Domain Name System को डिजाइन किया, और ISI से जॉन पोस्टेल की रिक्वेस्ट पर पहला implementation लिखा। इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्क फोर्स ने नवंबर 1983 में RFC 882 और RFC 883 में original specifications प्रकाशित किए, जो उन कांसेप्ट को स्थापित करते हैं जो आज भी DNS डवलपमेंट को गाइड करते हैं।
Internet का डोमेन नेम सिस्टम – DNS – सामान्य नामों को Internet प्रोटोकॉल पतों में मैप करता है। DNS एक ऐसी सेवा है जो होस्टनामों को IP Address में बदल देती है। Name Server का उपयोग DNS नामक वितरित डेटाबेस बनाने के लिए किया जाता है। यह एप्लिकेशन लेयर पर क्लाइंट और सर्वर के बीच डेटा का आदान-प्रदान करने के लिए एक प्रोटोकॉल है। हर वेबसाइट का अपना एक IP Address होता है यदि हम किसी वेबसाइट से जुड़ना चाहते है, तो हमें उसका IP एड्रेस याद रखना होगा, और हर वेबसाइट का IP Address नंबर याद रखना आसान नही है इस लिए डोमेन नाम का इस्तेमाल किया जाता है अब इस डोमेन नाम और IP Address को जोड़ने के लिए DNS का use किया जाता है| Internet पर सभी कंप्यूटर, आपके स्मार्ट फोन या लैपटॉप से लेकर बड़े पैमाने पर खुदरा वेबसाइटों के लिए सामग्री परोसने वाले सर्वर तक, संख्याओं का उपयोग करके एक दूसरे को ढूंढते हैं और उनसे संवाद करते हैं। इन नंबरों को आईपी एड्रेस के रूप में जाना जाता है। जब आप वेब ब्राउज़र खोलते हैं और किसी वेबसाइट पर जाते हैं, तो आपको एक लंबा नंबर याद रखने और दर्ज करने की ज़रूरत नहीं होती है। इसके बजाय, आप nscomputer.in जैसा डोमेन नाम दर्ज कर सकते हैं और फिर भी सही जगह पर पहुँच सकते हैं।
DNS क्या है ? (What is DNS)
इन्टरनेट में DNS एक फ़ोन बुक की तरह होता है जिस तरह आपके फ़ोन बुक में सभी का नम्बर उनके नाम से सेव होता है इसी प्रकार DNS में सभी इन्टरनेट से जुड़े device का IP एड्रेस उनके डोमेन नाम से सेव होता है सालों पहले DNS का मतलब एक जगह पर एक फोन बुक से बदलकर अब सटीक रिकॉर्ड, कैशिंग और उपयोगकर्ताओं के करीब निकटता के साथ वितरित “फोन बुक” की एक नेटवर्क वाली रास्ता खोजने वाली प्रणाली बन गया है।
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What is DNS:
DNS Internet की निर्देशिका के रूप में कार्य करता है, जो मानव-अनुकूल डोमेन नामों को मशीन-पठनीय IP पतों में अनुवाद करता है। जब कोई व्यक्ति अपने ब्राउज़र में किसी वेबसाइट का पता दर्ज करता है, तो यह उस विशेष साइट तक पहुँचने के लिए अनुरोध को ट्रिगर करता है। DNS की भूमिका टेक्स्ट-आधारित URL को उसके निर्दिष्ट IP पते पर मैप करना है, जिसका उपयोग कंप्यूटर वेब सामग्री का पता लगाने और उसे वितरित करने के लिए करते हैं।
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DNS के प्रकार :
DNS (Domain Name System) मुख्य रूप से 4 प्रकार के होते हैं। प्रत्येक प्रकार की अपनी एक विशिष्ट भूमिका होती है, जो इंटरनेट पर डोमेन नाम और IP एड्रेस को मैनेज करने में मदद करती है। आइए, प्रत्येक प्रकार को विस्तार से समझते हैं
Recursive DNS Resolver (रेकर्सिव डीएनएस रिजॉल्वर)
👉 कार्य:
जब कोई यूजर ब्राउज़र में वेबसाइट का एड्रेस टाइप करता है, तो सबसे पहले यह DNS रिजॉल्वर एक्टिव होता है। यह यूजर के लिए सही IP एड्रेस खोजने का कार्य करता है। यदि यह खुद IP को नहीं जानता, तो यह अन्य DNS सर्वरों से जानकारी प्राप्त करता है।
👉 उदाहरण:
यदि आप www.google.com सर्च करते हैं, तो आपका ISP (Internet Service Provider) सबसे पहले Recursive DNS Resolver से संपर्क करता है, जो सही IP पता खोजने के लिए अन्य सर्वरों से क्वेरी करता है।
Root Name Server (रूट नाम सर्वर)
👉 कार्य:
यह DNS का सबसे ऊपरी स्तर होता है। यह मुख्य रूप से TLD (Top-Level Domain) सर्वर की जानकारी देता है। इंटरनेट पर कुल 13 रूट सर्वर होते हैं, जो दुनिया भर में वितरित हैं।
👉 कैसे काम करता है?
जब Recursive Resolver को कोई डोमेन नाम का IP पता नहीं मिलता, तो यह Root Name Server से संपर्क करता है।
उदाहरण: यदि आप www.example.com खोलते हैं, तो Root Server बताएगा कि .com डोमेन की जानकारी किस TLD सर्वर में है।
TLD Name Server (टॉप-लेवल डोमेन सर्वर)
👉 कार्य:
यह विशेष रूप से किसी निश्चित डोमेन एक्सटेंशन (जैसे .com, .org, .net, .edu) को मैनेज करता है। यह अगले स्तर के DNS सर्वर (Authoritative Name Server) की जानकारी देता है।
👉 उदाहरण:
अगर आपने www.example.com खोजा, तो Root Server आपको .com से जुड़े TLD सर्वर पर भेजेगा, जो बताएगा कि example.com की जानकारी किस Authoritative DNS Server पर है।
Authoritative Name Server (अथॉरिटेटिव नाम सर्वर)
👉 कार्य:
यह किसी विशेष डोमेन से जुड़े IP पते को स्टोर और प्रदान करता है। जब यह सर्वर IP एड्रेस देता है, तो Recursive Resolver को किसी अन्य सर्वर से पूछने की जरूरत नहीं होती।
👉 उदाहरण:
अगर आपने www.example.com खोजा, तो Authoritative Name Server अंत में इसका सही IP Address बताएगा, जिससे वेबसाइट आपके ब्राउज़र में खुल जाएगी।
BY : NS Computer Classes MANASA
मोबाइल में DNS क्या है ?
जब आप अपने ब्राउज़र में कोई वेबसाइट खोलते हैं, तो आपका डिवाइस DNS सर्वर से उस वेबसाइट का IP पता पूछता हैDNS की मदद से, आप वेबसाइटों के डोमेन नामों को याद रखने के बजाय, उनके IP पतों को याद रखने की ज़रूरत नहीं रखते DNS सर्वर उस IP पते को देता है, जिसका इस्तेमाल करके आपका डिवाइस उस वेबसाइट से जुड़ता है
DNS कैसे काम करता है? (How does DNS work?)
DNS एक सिस्टम है जो डोमेन नामों को उनके IP एड्रेस में बदलता है ताकि इंटरनेट पर संचार संभव हो सके। जब कोई उपयोगकर्ता अपने ब्राउज़र में किसी वेबसाइट का नाम टाइप करता है (जैसे www.nscomputer.in), तो DNS सेवा उस डोमेन का IP एड्रेस खोजती है। पहले यह अनुरोध Recursive DNS Resolver के पास जाता है, फिर Root Name Server, उसके बाद TLD Server, और अंत में Authoritative Name Server तक पहुँचता है, जो सही IP एड्रेस प्रदान करता है। यह पूरी प्रक्रिया कुछ ही सेकंड में पूरी हो जाती है, जिससे वेबसाइट बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के तेजी से लोड हो जाती है।
DNS कैशिंग क्या है?
DNS कैशिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें डोमेन और उसके IP एड्रेस की जानकारी को अस्थायी रूप से स्टोर (cache) किया जाता है, ताकि जब वही वेबसाइट दोबारा खोली जाए तो उसे फिर से DNS सर्वर से खोजने की जरूरत न पड़े। >>और पढ़े